स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 25 October 2024 01:39:03 PM
कित्तूर (कर्नाटक)। ऐतिहासिक कित्तूर रानी चेन्नम्मा के कित्तूर विजयोत्सव की 200वीं वर्षगांठ पर कर्नाटक के बेलगाम जिले में कित्तूर किला परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। यह भव्य आयोजन 23 अक्टूबर 1824 को ब्रिटिश शासन के विरूद्ध रानी चेन्नम्मा की शानदार विजय की स्मृति में किया गया था। गौरतलब हैकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृतियों को लोकमानस में लाने की भारतीय डाक विभाग की समृद्ध परंपरा है। भारतीय डाक विभाग ने बीते कुछ वर्षमें स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में कई स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं, जो स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को संजोने के अलावा आगामी पीढ़ी को देशकी आज़ादी के नायकों के अनुकरणीय बलिदान को याद रखने केलिए भी प्रेरित करती है।
भारतीय डाक विभाग ने देश की स्वतंत्रता केलिए संघर्ष करने वाले पहले शासकों में से एक कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी चेन्नम्मा की वीरता और विरासत की स्मृति में ‘कित्तूर विजयोत्सव-200 वर्ष’ स्मारक डाक टिकट जारी किया है। कर्नाटक सर्कल बेंगलुरु के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल राजेंद्र कुमार ने आध्यात्मिक नेता मदिवाल राजयोगेंद्र महास्वामी, पमचक्षरी महास्वामी, बासवा जया मृत्युंजय स्वामी और सम्मानित अतिथियों के साथ इस स्मारक डाक टिकट का अनावरण किया। स्मारक टिकट में रानी चेन्नम्मा का एक आकर्षक चित्र है, जिसमें वे तलवार खींचे घोड़े पर सवार अंग्रेजों से लड़ती दिख रही हैं, जो उनकी शक्ति और वीरता को दर्शाता है। उनके चित्र के पीछे किला दिख रहा है, जो कित्तूर की समृद्ध विरासत और कित्तूर की ऐतिहासिक युद्ध का प्रतीक है।
कित्तूर विजयोत्सव पर स्मारक डाक टिकट को ब्रह्म प्रकाश ने डिजाइन किया है। इसमें ब्रिटिश शासन के विरूद्ध रानी चेन्नम्मा के प्रतिरोध और समय अनुरूप भाव को दर्शाया गया है। इस ऐतिहासिक अवसर की स्मृति के स्मरण में चित्र पर ‘कित्तूर विजयोत्सव-200 वर्ष’ लिखा हुआ है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्थायी विरासत और भारत की आज़ादी की लड़ाई के महत्वपूर्ण दौर में रानी चेन्नम्मा की अदम्य भावना एवं नेतृत्व केप्रति श्रद्धांजलि है। यह स्मारक डाक टिकट नागरिकों को खासतौर से युवा पीढ़ी को कित्तूर के समृद्ध इतिहास एवं स्वतंत्रता संग्राम का स्मरण कराता है। इसमें रानी चेन्नम्मा की विरासत और ब्रिटिश शासन के विरूद्ध प्रतिरोध की भावना को प्रेरणास्वरूप प्रस्तुत किया गया।