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Saturday 4 March 2023 02:58:36 PM
लखनऊ। विधायक के विशेषाधिकार हनन और विधानसभा की अवहेलना के दोषी पाए गए कानपुर के छह पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों को सदन में तलब कर और इस दौरान सदन को अदालत में परिवर्तित करके एक दिन की सजा सुनाते हुए उन्हें रात्रिकाल बारह बजे तक विधानसभा में बनी सांकेतिक जेल भेज दिया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास में विधायक के विशेषाधिकार हनन और विधानसभा की अवहेलना के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर यह एक ऐतिहासिक दंडात्मक कार्रवाई है, जो उन पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों अथवा सरकारी सेवकों केलिए गंभीर सबक है, जो विधायकों और विधानसभा के सम्मान की अवमानना अवहेलना करने का दुस्साहस करते हैं। दोषी पाए गए सभी पुलिसकर्मी कानपुर के हैं, जिनमें अब्दुल समद तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी कानपुर, ऋषिकांत शुक्ला तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवईनगर, त्रिलोकी सिंह तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर, छोटे सिंह यादव तत्कालीन कांस्टेबल थाना किदवईनगर कानपुर, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह तत्कालीन कांस्टेबल थाना काकादेव कानपुर शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक के विशेषाधिकार हनन और विधानसभा की अवहेलना अवमानना पर सजा की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के सदस्य सदन से चले गए थे। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने घटनाक्रम का सिलसिलेवार उल्लेख करते हुए सदन में बने विशेष कटघरे में खड़े किए गए इन पुलिसकर्मियों को सजा देने केलिए सदन में प्रस्ताव रखा, जो सदन में ध्वनिमत से पारित हुआ। संसदीय कार्यमंत्री ने दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों को भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया था, जिनमें दोषियों ने सदन के सामने हाथ जोड़कर उनके कृत्य केलिए माफी प्रदान करने केलिए क्षमायाचना की। दोषी तत्कालीन सीओ अब्दुल समद ने हाथ जोड़कर क्षमायाचना करते हुए कहाकि मैं सदन में उपस्थित सभी सदस्यों का चरण स्पर्श करते हुए उन्हें सादर प्रणाम करता हूं, राजकीय कार्यों के निर्वहन में मुझसे जाने अनजाने में जो त्रुटि हुई है, उसके लिए विधानसभा अध्यक्ष, सदन और विधायक सलिल विश्नोई जी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। इसी प्रकार ऋषिकांत शुक्ला तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवईनगर ने भी माफी मांगी और कहाकि हम विधायकों का सम्मान करते हैं एवं भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी।
विधायक की अवमानना का यह मामला चौदहवीं विधानसभा का 15 सितंबर 2004 का है, जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी गठबंधन की मुलायम सिंह यादव सरकार थी। घटनाक्रम के अनुसार कानपुर के भाजपा विधायक सलिल विश्नोई कानपुर में बिजली कटौती की समस्या पर धरना और प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन देने जा रहे थे, तभी इन सभी पुलिसकर्मियों ने सलिल विश्नोई और उनके समर्थकों को न केवल बलपूर्वक रोका, अपितु उन सभी पर भयावह लाठीचार्ज कर विधायक सलिल विश्नोई से मारपीट और अभद्रता भी की। इस लाठीचार्ज में सलिल विश्नोई की दाहिने पैर की हड्डी भी टूट गई थी। यह मामला 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने आया, जिसने इन सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए इनको दंडित करने की सिफारिश की। मुलायम सरकार मायावती सरकार और अखिलेश सरकार में इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया। तबसे यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था। भाजपा सरकार में 17 अगस्त 2021 को इसका संज्ञान लेते हुए राज्य के महाधिवक्ता से इसपर राय ली गई, जिन्होंने विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट को विधिक और उचित पाया। इसके बाद विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने इस मामले पर इस साल 1 और 27 फरवरी को बैठक कर इन पुलिसकर्मियों को दंड की सिफारिश करते हुए इन्हें सदन में पेश कर दंडित करने को कहा। इसके फलस्वरूप इन पुलिसकर्मियों को दंडित किया गया है, जो एक सबक और नजीर बन गया है।
विधानसभा में सत्ता पक्ष के अलावा जो दल सदन में मौजूद थे, उनसे भी दोषियों को सजा देने के प्रस्ताव पर अपना अभिमत प्रकट करने को कहा गया, जिन्होंने यह कहकर कि यह विधायिका और विधानसभा के मान-सम्मान का प्रश्न है और जिन्होंने विधायकों या विधानसभा की अवमानना और अवहेलना की है, उनको दंड का फैसला विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ते हैं। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सभी पक्षों का अभिमत जानने और घटनाक्रम को दंड के योग्य पाए जाने के पश्चात दोषी पुलिसकर्मियों को एकदिन के कारावास का दंड सुनाया। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष ने दंड की पुष्टि की कार्यवाही करते हुए ऐसे उद्धरण पेश किए, जिनमें न्यायपालिका और विधायिका के विशेष अधिकारों और उनके सम्मान को अक्षुण रखने केलिए ऐसे दंड आवश्यक बताए गए हैं। सतीश महाना ने कहाकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और चौथे स्तंभ के रूपमें महत्वपूर्ण पत्रकारिता को हम सबको मिलकर चलना होगा, इसमें कहीं प्रतिस्पर्धा का भाव नही दिखना चाहिए, अगर एक दूसरे केप्रति प्रतिस्पर्घा का भाव होगा तो लोकतंत्र कभी मजबूत नहीं होगा। उन्होंने कहाकि हम सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारियों केसाथ अपना सम्मान भी बनाए रखना होगा, जब ‘वी द पीपुल’ की बात होती है तो जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही यहां ‘वी द पीपुल’ का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दोषियों को सजा देने केलिए सदन एकजुट था, मगर एक क्षण ऐसा आया जब सदन में दोषियों को सजा निर्धारित कर देने की संपूर्ण कार्रवाई पूर्ण होने के बाद राज्य के कृषिमंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहाकि वह दोषियों को दी गई सजा को एकदिन यानी रात्रि बारह बजे तक नहीं, बल्कि दो चार घंटे की सजा का विचार करने का अनुरोध करते हैं। सूर्यप्रताप शाही ने जैसे ही सदन के सामने यह अनुरोध रखा, पूरे सदन ने उसका पुरजोर विरोध किया, तब सूर्यप्रताप शाही को चुपचाप अपनी सीट पर बैठ जाना पड़ा। सूर्यप्रताप शाही को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने यह कहकर उत्तर दियाकि सजा का प्रकार निश्चित हो चुका है, यदि उन्हें कुछ कहना था तो वह सजा पर कार्यवाही निश्चित करने से पहले कहते। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वह दोषियों को विधानसभा के तीसरे तल पर बनी सांकेतिक जेल में रात्रि बारह बजे तक निरुद्ध करें। मार्शल फिर सभी दोषी पुलिसकर्मियों को सांकेतिक जेल ले गए, जहां इन पुलिसकर्मियों ने अपनी सजा पूरी की और रात्रि बारह बजे के बाद उनको रिहा कर दिया गया।