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Wednesday 8 September 2021 12:46:52 PM
चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नेत्रदान पर मिथकों और झूंठी मान्यताओं को दूर करने का आह्वान किया है। उन्होंने लोगों में जागरुकता बढ़ाने केलिए मशहूर हस्तियों और आइकनों को शामिल करके हर राज्य में स्थानीय भाषाओं में बड़े पैमाने पर मल्टीमीडिया अभियान शुरु करने का सुझाव दिया। उपराष्ट्रपति ने 36वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े में डोनर कॉर्निया टिश्यू की मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह दुःखद है कि प्रत्यारोपण केलिए डोनर कॉर्निया टिश्यू की कमी के कारण बहुत सारे लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि लोगों में नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाई जाए। वेंकैया नायडू ने कहा कि बहुत से लोग मिथकों और झूंठी मान्यताओं के कारण अपने मृत परिवार के सदस्यों की आंखें दान करने केलिए आगे नहीं आ रहे हैं, ऐसे में उन लोगों को जागरुक किया जाना चाहिए कि उनकी आंखें दान करने के नेक कार्य से कॉर्नियल ब्लाइंड लोगों को देखने में मदद मिलेगी, जिससे वे इस सुंदर दुनिया को फिरसे देख पाएंगे।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर हम सभी अपनी आंखें दान करने का संकल्प लें तो हम कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहे सभी रोगियों का इलाज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक प्राप्त करने योग्य लक्ष्य है, इसलिए हमें इसे पूरा करने केलिए अथक प्रयास करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने डोनर टिश्यू की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने केलिए एक संरचित नेत्र बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इसके लिए आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने, डोनर टिश्यू दान करने वाले को सुविधाजनक व्यवस्था प्रदान करने और समान वितरण प्रणाली सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एक ऐसी संस्कृति है, जहां शिबी और दधीचि जैसे राजाओं और ऋषियों ने अपने शरीर दान किए थे, ये उदाहरण हमारे समाज के मूल मूल्यों, आदर्शों और संस्कारों के इर्द-गिर्द निर्मित हैं। उन्होंने लोगों को प्रेरित करने और अंगदान को बढ़ावा देने केलिए उन मूल्यों और कहानियों को आधुनिक संदर्भ में फिरसे परिभाषित करने का आह्वान किया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि अंगदान करने से न केवल एक व्यक्ति को अधिक पूर्ण जीवन जीने में मदद मिलती है, बल्कि दूसरों के लिए समाज की भलाई केलिए काम करने केलिए एक उदाहरण प्रस्तुत होता है। वेंकैया नायडू ने कहा कि महामारी के कारण कॉर्नियल पुनर्प्राप्ति पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण कॉर्नियल प्रत्यारोपण केलिए आवश्यक टिश्यू की कमी हो गई है और बैकलॉग मामले बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि टिश्यू उपलब्धता में संकट को दूर करने केलिए लंबे समय तक संरक्षण जैसे अभिनव उपाय और वैकल्पिक शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं पर विचार किया जाना चाहिए, जिनमें डोनर टिश्यू की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कोविड-19 के बारे में हमारी समझ में सुधार हुआ है, ठीक उसी तरह से हमें नेत्र-बैंकिंग और टिश्यू पुनर्प्राप्ति के संबंध में दिशानिर्देशों को संशोधित करने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देशभर में रोगनिरोधी और उपचारात्मक नेत्र देखभाल को मजबूत करने केलिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है। उनहोंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ये सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों, विशेष रूपसे देश के दूरदराज के हिस्सों में उपलब्ध हो, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को व्यापक नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार के प्रयासों को बढ़ाने में पंचायती राज संस्थानों, शहरी स्थानीय निकायों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए।
वेंकैया नायडू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बहुत से लोग निजी अस्पतालों में इलाज का भारी-भरकम खर्च वहन नहीं कर सकते, इसलिए हमें अपने सार्वजनिक क्षेत्र के नेत्र देखभाल अस्पतालों को गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने केलिए नवीनतम तकनीकों से लैस करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने पिछले पांच दशक में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से प्रभावित हजारों लोगों को फिरसे देखने की शक्ति देकर सशक्त बनाने केलिए राष्ट्रीय नेत्र बैंक टीम की सराहना की। वर्चुअल समारोह में प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया निदेशक एम्स नई दिल्ली, प्रोफेसर जीवन एस टिटियाल प्रमुख आरपी सेंटर फॉर ऑप्थल्मिक साइंसेज एम्स नई दिल्ली, प्रोफेसर राधिका टंडन सहअध्यक्ष नेशनल आई बैंक, प्रोफेसर नम्रता शर्मा ऑफिसर इन चार्ज राष्ट्रीय नेत्र बैंक, प्रोफेसर एम वनथी ऑफिसर इन चार्ज राष्ट्रीय नेत्र बैंक, डॉ मनप्रीत कौर सहायक प्रोफेसर फैकल्टी, स्टाफ एम्स के साथ डोनर परिवारों, गैर-सरकारी संगठनों और आई बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।