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थल सेनाध्यक्ष ने खिलाड़ियों को किया सम्मानित

पेरिस ओलंपिक-2024 में उत्कृष्ट प्रदर्शन और उपलब्धियों को सराहा

ओलंपिक-2036 की मेज़बानी का दावा पेश करेगा भारत-सेनाध्यक्ष

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 August 2024 11:23:59 AM

army chief honored the players

नई दिल्ली। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पेरिस ओलंपिक-2024 में उल्लेखनीय उपलब्धियों केलिए भारतीय सेना के खिलाड़ियों को समारोहपूर्वक नई दिल्ली साउथ ब्लॉक में सम्मानित किया। यह अवसर न केवल सेना के खिलाड़ियों की उपलब्धियों का जश्न मनाने का था, बल्कि देश में खेल प्रतिभाओं को पोषित करने में भारतीय थलसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने का भी अवसर था। थलसेना प्रमुख ने इस अवसर पर खिलाड़ियों की अविश्वसनीय उपलब्धियों पर गर्व करते हुए कहाकि उनका अनुशासन, दृढ़ता और समर्पण भारतीय थलसेना के मूल मूल्यों का प्रतीक है। उन्‍होंने कहाकि उनकी उपलब्धियों ने न केवल प्रशंसा अर्जित की है, बल्कि अनगिनत अन्य लोगों को खेल के क्षेत्रमें उत्कृष्टता प्राप्त करने केलिए प्रेरित किया है।
थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहाकि भारतीय थल सेना राष्ट्र केलिए शक्ति, वीरता और अनुशासन का एक स्तंभ है। उन्होंने कहाकि सीमाओं की रक्षा करने के अपने प्राथमिक मिशन से परे थलसेना लगातार खेल सहित विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ावों केप्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करती है, जो राष्ट्र निर्माण में समग्र रूपसे योगदान देती है। थलसेना प्रमुख ने विश्वास व्यक्त कियाकि थलसेना के खिलाड़ी उत्कृष्टता की अपनी खोज जारी रखेंगे तथा आनेवाले दिनों में और अधिक ऊंचाइयों को छुएंगे। पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल ने कुल छह पदक-एक रजत और पांच कांस्य) जीते, जिसमें भारतीय सेना के सूबेदार मेजर नीरज चोपड़ा ने भारत केलिए भाला फेंक में एकमात्र रजत पदक जीता। इस अनुकरणीय प्रदर्शन ने ओलंपिक खेलों में भारतीय थलसेना के सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शनों मेंसे एकके रूपमें अपनी जगह बना ली है।
भारतीय सेना के खिलाड़ियों के उल्लेखनीय प्रदर्शन इस प्रकार हैं-सूबेदार मेजर नीरज चोपड़ा, पीवीएसएम, वीएसएम, एथलेटिक्स (भाला फेंक)-रजत पदक। तीरंदाजी (रिकर्व) में सुब बोम्मांडेवारा धीरज-चौथा स्थान। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहाकि भारत 2036 के अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक की मेज़बानी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहा है, ऐसे में भारतीय थलसेना ओलंपिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने बतायाकि एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय थलसेना ने 2001 में अपने मिशन ओलंपिक विंग की स्थापना की थी, जो सेना में खेल प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने केलिए समर्पित है। उन्होंने बतायाकि युवाओं को और अधिक सशक्त बनाने एवं उन्हें वैश्विक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करने केलिए थलसेना ने दो गर्ल्स स्पोर्ट्स कंपनियां और 18 बॉयज़ स्पोर्ट्स कंपनियां स्थापित की हैं। उन्होंने कहाकि इनका उद्देश्य युवा एथलीटों को अपने कौशल को निखारने, अपने आत्मविश्वास का निर्माण करने और उच्चतम स्तरपर प्रतिस्पर्धा करने केलिए एक मंच प्रदान करना है।
ओलंपिक यात्रा में बीते दो दशक की भारतीय थलसेना की प्रमुख उपलब्धियां और योगदान इस प्रकार हैं-वर्ष 2004 एथेंस में कर्नल आरवीएस राठौर का निशानेबाजी में रजत पदक, वर्ष 2012 लंदन में सब मेजर (ऑनरी कैप्टन) विजय कुमार का निशानेबाजी में रजत पदक, वर्ष 2020 टोक्यो में सब मेजर नीरज चोपड़ा का भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक और वर्ष 2024 पेरिस में रजत पदक। पेरिस ओलंपिक में थलसेना का प्रतिनिधित्व 11.11 प्रतिशत (13/117) था। थलसेना के खिलाड़ियों ने कुल पदक तालिका में 16.66 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसमें सबसे ज़्यादा पदक रजत शामिल हैं। पुरुषों की स्पर्धाओं में थलसेना का प्रतिनिधित्व 18.2 प्रतिशत (12/66) था और पेरिस ओलंपिक में थलसेना ने मुक्केबाज़ी में अपनी पहली महिला खिलाड़ी हवलदार जैस्मीन को मैदान में उतारा था। एशियाई खेल-2023 में भी थलसेना के एथलीटों ने 3 स्वर्ण, 7 रजत और 10 कांस्य पदक जीते थे।

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